Sunday, January 2, 2011

देशान्तर



आज के कवि : अरनेस्तो कार्देनाल

कुछ उक्तियां

हमारी कविताएं अभी प्रकाशित नहीं हो सकतीं.

हमारी कविताएं अभी प्रकाशित नहीं हो सकतीं.
वे हाथ-दर-हाथ बढ़ायी जाती हैं, लिख कर
या साइक्लोस्टाइल हो कर. लेकिन एक दिन आयेगा, बहरहाल,
जब उस तानाशाह का नाम जिस पर वे चोट करती हैं
भुला दिया जायेगा,
और वे उसके बाद भी पढ़ी जाती रहेंगी.


क्या तुमने पढ़ा नहीं है

क्या तुमने पढ़ा नहीं है नोवेदादेज़ में :

शान्ति का पहरुआ, मज़दूरों का मसीहा
अमरीकी लोकतन्त्र का अलमबरदार
अमरीकी कैथोलिकवाद का रक्षक
जनता का मुहाफ़िज़
दयानिधान ?

वे जनता की भाषा को तहस-नहस करते हैं,
अवमूल्यन करते हैं जनता के शब्दों का.
(ठीक जनता की मुद्रा सरीखा.)
इसीलिए हम कवि प्रकाशित करते हैं कविताएं बड़ी सावधानी से.
इसीलिए मेरी प्रेम-कविताएं महत्वपूर्ण हैं.

सोमोज़ा
सोमोज़ा स्टेडियम में
सोमोज़ा की प्रतिमा का अनावरण करता है

ऐसा नहीं है कि मैं यक़ीन करता हूं कि लोगों ने
यह प्रतिमा मेरे सम्मान में बनायी है,
तुम्हारी तरह
मुझे भी मालूम है कि मैंने इसे बनाने का आदेश दिया .
न मैं इससे अमरता की उम्मीद करता हूं :
मैं जानता हूं कि लोग एक दिन इसे नष्ट कर देंगे.
न मैंने जीते-जी अपना वह स्मारक बनाने की कोशिश की
जो तुम मेरे मरने के बाद नहीं बनाओगे :
बल्कि मैंने इसे बनवाया यह जानते हुए कि तुम इससे नफ़रत करते हो.

जब तुम मेरे साथ रहो

जब तुम मेरे साथ रहो, क्लौडिया, तो ध्यान रखो
तुम कैसे व्यवहार करती हो :
तुम्हारी हल्की-सी हरकत, शब्द या सांस--
हां, क्लौडिया की छोटी-सी भूल--
हो सकता है
एक दिन ज्ञानी लोगों की नुक़्ताचीनी का
निशाना बने,
और यह नृत्य, क्लौडिया,
सदियों तक याद किया जाता रहे.
क्लौडिया : तुम्हें होशियार कर दिया गया है!

प्रोपर्टियस की नक़ल में

मैं स्टालिनग्राड कई रक्षा के गीत नहीं गाता
न रेगिस्तान में लड़े गये युद्ध के
न सिसली में फ़ौजों के जा उतरने के
न आइज़नहावर द्वारा राइन नदी को पार करने के ही.

मैं गीत गाता हूं एक लड़की को जीत लेने के.

जोयेरिया मोरलौक के क़ीमती नगीनों से नहीं
न ड्रेफ़स के इत्रों से
न प्लास्टिक के ख़ोल में रखे गुलाबों से ही
न कैडिलैक मोटरकार से
बल्कि महज़ अपनी कविताओं से जीत लिया मैंने उसे.

और वह मुझ ग़रीब को चाहती है
सोमोज़ा के लाखों की बनिस्बत

कुछ गोलियां कल रात

कुछ गोलियां सुनायी दीं कल रात.
क़ब्रिस्तान की तरफ़.
कोई नहीं जानता किन्हें मारा उन्होंने--
या कितने मारे गये.
कोई कुछ नहीं जानता.
कुछ गोलियां सुनायी दीं कल रात.
बस इतना ही.

गाड़ीवान गाते हैं

कोस्टा रीका में गाड़ीवान गाते हैं.
रास्तों पर मैंडोलिन लिये आदमी.
और तोतों की तरह चमकती बैल-गाड़ियां.
और रंगीन फ़ीतों, घण्टियों और सींगों में फूलों से सजे बैल.

कोस्टा रीका में कॉफ़ी की फ़सल के समय.
जब सारी गाड़ियां कॉफ़ी की फलियों से लदी होती हैं.

और गांवों के चौक में बैण्ड-बाजे बजते हैं.
और सान होज़े के छज्जे और झरोखे
लड़कियों और फूलों से भरे होते हैं.
और लड़कियां बाग़ों में सैर के लिए जाती हैं.
और सान होज़े में राष्ट्रपति भी पैदल निकल सकता है.

अदोल्फ़ो बाएज़ बोने के लिए
समाधि-लेख

उन्होंने तुम्हें मार दिया. कभी नहीं बताया
तुम्हें कहां दफ़्न किया उन्होंने.
तब से ख़ुद हमारा देश तुम्हारी क़ब्र है. या, कहा जाये,
जहां भी तुम्हें दफ़्न नहीं किया गया,
तुम फिर से उठ खड़े होते हो.

उनकी ख़याल था उन्होंने तुम्हें "फ़ायर" के आदेश पर मार दिया था!
उनका ख़याल था कि उन्होंने तुम्हें दफ़्न कर दिया था. जबकि :
जो उन्होंने दफ़्नाया था वह दरअसल एक बीज था.



मैरिलिन मनरो के लिए प्रार्थना

प्रभु इस कन्या को शरण दो
जिसे पूरी दुनिया मैरिलिन मनरो के नाम से जानती है
हालाँकि यह इसका नाम नहीं था
(पर तुम तो इसका असली नाम जानते हो,
इस अनाथ लड़की का नाम
जिसके साथ नौ साल की उम्र में बलात्कार किया गया,
जो सोलह की थे और सेल्स-गर्ल थी एक दुकान में
जब इसने आत्म हत्या करने की कोशिश की)
जो अब तुम्हारे सम्मुख जा रही है मेकप के बिना
बिना अपने प्रेस-एजेंट के
न अपने चित्रों के साथ
न अपने चाहने वालों को हस्ताक्षर बाँटती दाँये-बाँयें
बिल्कुल अकेली
जैसे सुदूर अनन्त के अँधियारे का रुख़ करता अन्तरिक्ष-यात्री
जब यह लड़की थी, इसने सपना देखा था कि
यह नंगी खड़ी है गिरजे में
(‘टाइम’ मैगज़ीन के मुताबिक़)
और इसके सामने बिछी हुई है अपार भीड़
सिर धरती पर नवाये,
जो इसे पंजों के बल बढ़ना है उन तमाम सिरों को बचाते हुए
तुम हमारे सपनों को
किसी भी मनोचिकित्सक से बेहतर जानते हो, प्रभु
गिरजा, घर या गुफा --
ये सब गर्भ की निरापद सुरक्षा के प्रतीक हैं
मगर इससे भी कुछ ज़्यादा ...
झुके हुए सिर तो प्रशंसक हैं, इतना तो साफ़ है
(स्क्रीन पर केन्द्रित रोशनी के शहतीर के नीचे
हाल के अँधेरे में दर्शकों के सिरों का हुजूम)
लेकिन वह मन्दिर ट्वेंटिएथ सेंचुरी फ़ाक्स का स्टूडियो नहीं
वह मन्दिर -- संगमरमर और सोने से बना मन्दिर --
उसकी देह का है
जिसमें आदमी का बेटा हाथ में कोड़ा लिये खड़ा है
ट्वेंटिएथ सेंचुरी फ़ाक्स के सूदख़ोरों को खदेड़ता हुआ
जिन्होंने तुम्हारे उपासना-गृह को चोरों का अड्डा बना दिया था।
प्रभु, इस दुनिया में
जो रेडियो--धर्मिता और पाप,
दोनों से समान रूप में दूषित है
निश्चय ही तुम इस सेल्स-गर्ल को दोषी नहीं ठहराओगे
जो (आम बिक्री-सहायिकाओं की तरह)
फ़िल्मी सितारा बनने का सपना लेती थी।
और इसका सपना ‘सच्चाई’ बन गया (टेक्निकलर सच्चाई)
इसने बस यही किया है कि हमारी दी हुई पटकथा पर चलती रही
जो दरअसल हमारी अपनी ज़िन्दगियों की थी, लेकिन अर्थहीन थी,
इसे क्षमा करो प्रभु, और साथ-साथ हमें भी,
हमारी इस बीसवीं सदी के लिए,
और इस विराट सुपर-प्रोडक्शन के लिए
जिसके निर्माण में हम सब ने योग दिया।
यह प्यार की भूखी थी और हमने इसे
नसों को शान्त करने वाली दवाइयाँ पेश कीं।
हम सन्त नहीं हैं -- इस ज्ञान से उपजी उदासी के लिए
उन्होंने इसे मनोचिकित्सा का सुझाव दिया।
याद करो, प्रभु, कैमरे के प्रति इसका बढ़ता हुआ आतंक
और मेकप के प्रति इसकी नफ़रत (फिर भी हर दृश्य के लिए
नये सिरे से मेकप करवाने पर इसका आग्रह।)
और किस तरह यह आतंक बढ़ता गया
और किस तरह बढ़ता गया स्टूडियो पहुँचने में इसका विलम्ब।
दुकान में काम करने वाली आम सेल्स-गर्ल की तरह
यह फ़िल्मी सितारा बनने का सपना देखती थी
और इसकी ज़िन्दगी उस सपने जितनी ही अवास्तविक थी
जिसे मनोचिकित्सक एक नज़र देख कर
फ़ाइल-बन्द कर देता है।
इसके प्रेम-सम्बन्ध आँखें मूँद कर दिये गये चुम्बन थे
जो आँखें खुलने पर
फ़िल्मी बत्तियों के नीचे खेले गये नाटक सरीखे जान पड़ते हैं।
लेकिन बत्तियाँ तो बुझ चुकी हैं
और कमरे की दो दीवारें (वह एक सेट था)
हटायी जा रही हैं
और इस बीच निर्देशक हाथ में नोट-बुक लिये
दृश्य को सही--सलामत फ़िल्माने के बाद
जा रहा है किसी दूसरी तरफ़।
या फिर इसके प्रेम-सम्बन्ध नौका-विहार जैसे थे,
एक चुम्बन सिंगापुर में,
एक नाच रियो में, एक जश्न विंडसर के
राजा--रानी के प्रासाद में --
जो देखा जा रहा हो किसी सस्ते-से फ़्लैट की मनहूस तड़क-भड़क में।
आख़िरी चुम्बन से पहले ही ख़त्म हो गयी फ़िल्म।
उन्होंने इसे बिस्तर पर मृत पाया फ़ोन पर हाथ रखे।
और जासूसों की रत्ती-भर इमकान नहीं था
कि यह किसे फ़ोन करने को थी।
मानो किसी ने एकमात्र मित्रता-भरी आवाज़ को फ़ोन मिलाया था
और सुनी थी उत्तर में
पहले से टेप की गयी एक आवाज़ -- ‘ग़लत नम्बर,’
या जैसे गुण्डों के हाथों घायल हो कर कोई व्यक्ति
बढ़ाता हो हाथ उस फ़ोन की तरफ़
जिसकी तार पहले की काट दी गयी हो।
प्रभु, जो भी वह रहा हो
जिसे यह फ़ोन करने जा रही थी
मगर कर नहीं पायी (शायद कोई था भी नहीं
या शायद कोई ऐसा नाम
जो लास ऐंजिलीज़ की फ़ोन-निर्देशिका में नहीं है)
प्रभु, तुम दे दो इस फ़ोन का जवाब।

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एर्नेस्टो कार्डिनाल मार्टीनेज़ (20 जनवरी 1925) लातीनी अमरीका के जाने-माने क्रान्तिकारी कवियों में शुमार किये जाते हैं. मानागुआ, मेक्सिको और न्यू यार्क में शिक्षा पाने के बाद वे निकारागुआ लौटे और उन्होंने 1954 में अनास्तासियो सोमोज़ा गार्सिया के ख़िलाफ़ "अप्रैल क्रान्ति" में हिस्सा लिया. क्रान्ति के विफल होने और बहुत-से साथियों के मारे जाने के बाद कार्डिनाल अमरीका जा कर कवि-पादरी टौमस मर्टन के मार्ग दर्शन में खुद भी पादरी बन गये और 1965 में उन्हें विधिवत पादरी बना कर निकारागुआ भेज दिया गया जहां उन्होंने सोलेन्तिनामे द्वीप समूह में लगभग एक मठ सरीखी बस्ती वहां के आदिवासियों और किसानों के बीच बनायी. बाद मे उन्होंने वहीं एक आदिवासी सांस्कृतिक समुदाय भी गठित किया. लेकिन सोलेन्तिनामे के बहुत-से किसान अनास्तासियो सोमोज़ा देबएल की तानाशाही के ख़िलाफ़ मार्क्सवादी हथियारबन्द सान्दीनीस्ता राष्ट्रीय मुक्ति मोर्चे के सदस्य थे और 1977 में एक समय ऐसा भी आया जब तानाशाह सोमोज़ा के नैशनल गार्ड ने सोलेन्तिनामे की बस्ती को जला कर ख़ाक कर दिया और कार्देनाल को भाग कर कोस्ता रीका में पनाह लेनी पड़ी. इस बीच वैटिकन में बैठे ईसाई महन्त और पोप यह नहीं समझ पा रहे थे कि अगर सचमुच अर्नेस्तो कार्देनाल अपना धर्म निभायें तो लामुहाला उन्हें तानाशाह सोमोज़ा और उसके अमरीकी धनाधीशों का विरोध करना ही पड़ेगा जो आम ईसाई जनता के हर अधिकार को कुचलने पर आमादा थे. नौबत यहां तक आयी कि कैथोलिक चर्च नें कार्देनाल को पादरी पद से बहिष्कृत कर दिया. यों भी कार्देनाल ने अपने मार्क्सवादी रुझान को कभी गुप्त नहीं रखा था.सोमोज़ा के पतन और सान्दीनीस्ता दल के सत्ता संभालने के बाद वे 1979 से 1987 तक निकारागुआ के पहले संस्कृति मन्त्री भी रहे. हालांकि दानियल ओर्तेगा के नेतृत्व संभालने पर कार्देनाल 1994 में सान्दीनीस्ता राष्ट्रीय मुक्ति मोर्चे से अलग हो गये लेकिन उन्होंने अपनी मार्क्सवादी प्रतिबद्धता बरक़रार रखी है.

1 comment:

  1. namaskar,bahut accha laga aapke blog pe aakar,mai iska link karvaan pe de de raha hoon,acchi kavitayen padha rahe hain aap

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