Monday, April 20, 2015

जैज़ पर लम्बा आलेख



चट्टानी जीवन का संगीत 
पच्चीसवीं कड़ी


29.

जौन कोल्ट्रेन के अनुयायियों में से आर्ची शेप्प पहले सेक्सोफ़ोन वादक हैं, जिन्हें भरपूर सराहना मिली। आर्ची शेप में और्नेट कोल्ट्रेन की तरह रूढ़ियों को तोड़ने का जज़्बा एक कदम और आगे तक गया. उन्होंने अफ़्रीकी मूल के संगीत को फिर से जैज़ की मुख्यधारा में लाने की कोशिशें तो कीं ही,  अफ़्रीकी अमरीकी अश्वेतों के साथ किये जा रहे अन्याय  को भी सामने ला कर उसका विरोध करने की प्रेरणा दी. आर्ची शेप का जन्म अमरीका के पूर्वी किनारे पर फ़्लौरिडा में हुआ लेकिन वे पले-बढ़े पेन्सिल्वेनिया के फ़िलाडेल्फ़िया शहर में. शुरू-शुरू में पियानो, क्लैरिनेट और सैक्सोफ़ोन सीखने के बाद उन्होंने सैक्सोफ़ोन बजाना जारी रखा और बीच में चार साल एक नाट्य संस्थान में नाटक और रंगमंच का प्रशिक्षण भी लिया जो किसी व्यवसायिक जैज़ संगीतकार के लिए एक अनोखा फ़ैसला था. नाट्य प्रशिक्षण के बाद आर्ची शेप फिर से पेशेवर वादकों में शामिल हो गये और उन्होंने अपने स्वभाव के मुताबिक प्रयोगशील पियानो-वादक सेसिल टेलर की संगत शुरू की. इसके साथ साथ वे जौन कोल्ट्रेन के साथ भी जुड़े और 1965 में जब उन्होंने कोल्ट्रेन के साथ मिल कर "न्यू थिंग्ज़" नाम से एक रिकौर्ड तैयार किया जिसकी एक तरफ़ उन्का एकल वादन था और दूसरी तरफ़ जौन कोल्ट्रेन का तो उनका नाम जैज़ संगीत की "नयी लहर" के वादकों की अगली पंक्ति में गिना जाने लगा. 

https://youtu.be/cGE-9GliyCw (आर्ची शेप - न्यू थिंग्ज़)

  
1965 में ही शेप ने "फ़ायर म्यूज़िक" नाम का एक ऐल्बम तैयार किया जिससे उनके अन्दर अर्से से पनप रही राजनैतिक चेतना के साफ़-साफ़ संकेत मिले. ऐल्बम का नाम उन्होंने अफ़्रीकी कर्मकाण्ड की एक पुरानी परम्परा के नाम पर रखा था और इसमें अफ़्रीकी अधिकारों के लिए लड़ने वाले सुप्रसिद्ध नेता मैल्कम एक्स की हत्या पर एक शोक गीत भी शामिल था. 

https://youtu.be/cVPoMrs3QZA (आर्ची शेप - फ़ायर म्यूज़िक)

अफ़्रीकी परम्परा के साथ शेप का जुड़ाव बढ़ता चला गया. यह दौर भी ऐसा था जब सामाजिक और राजनैतिक मोर्चों पर वे सभी लोग अपनी आवाज़ें बुलन्द करने लगे थे, जो अब तक गोरों के अन्याय और गोरे साम्राज्यवाद और उपनिवेशवाद का शिकार थे. जैज़ पर भी इसका असर पड़ रहा था और एक तरफ़ तो जैज़ संगीतकार अफ़्रीका और एशिया और लातीनी अमरीका में अपनी जड़ें तलाश रहे थे, दूसरी तरफ़ नये-नये प्रयोगों में खुल कर हिस्सा ले रहे थे, भले ही व्यावसायिकता का कितना भी दबाव क्यों न रहा हो. आर्ची शेप ने भी नयी-नयी हिकमतें आज़माना जारी रखा और अपनी रचनाओं में कुछ अफ़्रीकी वाद्यों के साथ माउथ और्गन जैसे पुराने मगर त्याग दिये गये वाद्य को भी जगह दी. इसके अलावा उन्होंने कवियों की हिस्सेदारी का भी स्वागत किया. 1972 में वे "ऐटिका ब्लूज़" और "क्राई औफ़ माई पीपल" जैसे ऐल्बमों से खुले तौर पर नागरिक अधिकार आन्दोलन करने वालों के साथ जा खड़े हुए.

https://youtu.be/ZVyy8bvv3dg (आर्ची शेप - ऐटिका ब्लूज़)


1971 में शेप ने प्रतिष्ठित मैसाचुसेट्स विश्वविद्यालय में संगीत के प्रोफ़ेसर का पद संभाला और अगले तीस साल वे वहीं रह कर अफ़्रीकी-अमरीकी संगीत की क्रान्तिकारी परम्परा और रंगमंच में अश्वेत संगीतकारों के योगदान के पाठ्यक्रम संचालित करते रहे. इस बीच अफ़्रीकी संगीत के विभिन्न तत्वों की खोज-बीन के साथ वे रंगमंच और फ़िल्म में भी संगीतकार की हैसियत से जुड़े रहे हैं और कविता और संगीत के रिश्ते को उजागर करते रहे हैं. इसी वजह से समीक्षकों ने उन्हें ’जैज़ के आनन्द का बहुप्रतीक्षित पुररुद्धार’ कहा है। लेकिन शेप्प संगीत के बारे में एक ज़्यादा जटिल और भिन्न नज़रिया रखते हैं -- ’संगीत को कभी-कभी आतंकित भी करना चाहिए, लोगों को गर्दन से पकड़ कर झकझोरना चाहिए। संगीत को चाहिए कि वे भरे हुए पेटों और गदबदे हँसते हुए भिक्षुओं की अनिवार्य विजय का गुणगान करे। हमारे जीवन में सामाजिक ही नहीं कलात्मक व्यवस्था भी लाये।’ आर्ची शेप्प की यह मान्यता दरअसल जैज़ संगीत की बुनियादी मान्यता है -- सुखी जीवन की अनिवार्य विजय का गुणगान, जिसमें भूख और दुख से छुटकारा हो और ज़िन्दगी में सामाजिक व्यवस्था के साथ कलात्मक व्यवस्था भी कायम हो।

https://youtu.be/sU_PTQFJA8s (क्राई औफ़ माई पीपल)

(जारी)

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