Friday, April 17, 2015

जैज़ पर लम्बा आलेख


चट्टानी जीवन का संगीत 
तेईसवीं कड़ी

27.

इसी समय मिंगस और माइल्स से उमर में कुछ साल छोटे, लेकिन लीक से हट कर चलने की वैसी ही ज़िद रखने वाले संगीतकार थे सैक्सोफ़ोन वादक और्नेट कोलमैन (1930- ), जिनके उस ऐल्बम का, जो 1959 में रिकौर्ड किया गया, शीर्षक ही बहुत-से लोगों को बड़बोलेपन की मिसाल लग सकता था. और्नेट कोलमैन ने इस ऐल्बम का नाम रखा था "शेप औफ़ जैज़ टू कम" यानी "आने वाले दिनों में जैज़ का स्वरूप." 
और्नेट कोलमैन ने, जिनका जन्म और पालन-पोषण फ़ोर्ट वर्थ, टेक्सास में हुआ, 1959 में जैसे एक छलांग लगा कर अपने ऐल्बम में शामिल छै धुनों को रिकौर्ड कराते हुए जैज़ संगीत के बारे में अपना बयान दर्ज कराया था. जहां माइल्स डेविस और चार्ल्स मिंगस पुराने तपे हुए संगीतकार थे और कई-कई बार अपने संगीत को रिकौर्ड करा चुके थे, वहीं और्नेट कोलमैन का यह महज़ तीसरा ऐल्बम था और इसका मौका भी उन्हें ख़ासी मुश्किल से मिला था. बात यह थी कि जिस लीक पर वे अपने स्कूली दिनों ही में चल पड़े थे वह पैदाइशी विद्रोहियों की लीक कही जा सकती थी. अभी वे स्कूल के बैण्ड में थे कि उन्हें एक प्रसिद्ध धुन को बजाने के दौरान तात्कालिक प्रेरणा से तयशुदा सुर-ताल से हट कर प्रयोग करने की हिमाकत की वजह से बैण्ड के बाहर कर दिया गया था. लेकिन और्नेट कोलमैन अपने इरादे के पक्के थे. वे उस छोटी उमर में भी जानते थे कि अगर उन्हें संगीत में अपनी राह बनानी है तो वह उनकी अपनी राह होगी, पिटी-पिटायी लीक नहीं. उन्नीस साल की उमर तक वे अपनी तरह के कुछ साथियों को इकट्ठा करके स्थानीय क्लबों में बजाना शुरू कर चुके थे. किसी तरह अपने छोटे से शहर से बाहर निकलने की कोशिश में उन्होंने कुछ घुमन्तू मण्डलियों के साथ आस-पास के दौरे शुरू किये. इसी तरह के एक दौरे में बेटन रूज नाम की जगह के सुनने वाले इतने भड़के कि उन्होंने और्नेट के साथ हाथा-पाई करते हुए उनका सैक्सोफ़ोन भी तोड़ दिया. इस घटना के बाद और्नेट एक बैण्ड में शामिल हो कर लौस ऐन्जिलीज़ चले गये, लेकिन वहां पहुंचते ही उन्हें उनकी हठी फ़ितरत की वजह से बैण्ड से बाहर कर दिया गया. अगले नौ साल वे लौस ऐन्जिलीज़ में छोटे-मोटे काम करके अपना ख़र्चा चलाते हुए स्थानीय बैण्डों में सैक्सोफ़ोन बजाते रहे. 

https://youtu.be/JbEuvFmx1lU?list=PLlvZuli9Xh9gznxUbfrhjEihXck9ZhQLD (और्नेट कोलमैन - वेन विल द ब्लूज़ लीव)

फिर, जब ऑर्नेट कोलमैन सन 1958-59 में पहले पहल न्यूयॉर्क आये तो बहुत-से लोगों को यह लगा कि उन्होंने अचानक एक ऐसे क्षेत्र में धावे मारने शुरू कर दिये हैं, जिसे दूसरे संगीतकार अभी दूर से ही जाँच-परख रहे थे। कुछ लोगों की नज़र में ऑर्नेट कोलमैन एक ऐसे संगीतकार थे जिन्होंने जैज़ में अव्यवस्था और बेसुरापन पैदा किया था, जबकि बहुत-से लोगों का ख़याल था कि कोलमैन एक क्रान्तिकारी संगीतकार थे, जिन्होंने जैज़ को उसकी रूढि़यों से मुक्त कर खुलापन प्रदान किया। अपनी अदाकारी में आर्नेट कोलमैन ने हर प्रकार की पारम्परिक रचनाओं के साथ छूट ली थी। यहाँ तक कि स्वर, सुर और तान के सिलसिले में चली आ रही रूढि़यों को भी उन्होंने तोड़ा था। इसके अलावा अलावा चूँकि वे लगभग पूरी तरह तात्कालिक प्रेरणा पर निर्भर करते थे, इसलिए बहुत-से समीक्षकों ने उन्हें या तो संगीत से कतई रहित कहा या फिर एक प्रतिभाशाली नौसिखिया। इसके बावजूद जहाँ तक बुनियादी लय और ताल का सवाल है, इसमें कोई शक नहीं है कि कोलमैन यह जानते थे कि वे क्या कर रहे हैं और इसीलिए अपने पूर्ववर्ती संगीतकार चार्ली पार्कर की तरह उनमें यह क्षमता थी कि जैज़ के किसी अत्यन्त पारम्परिक रूढि़ग्रस्त पिटे-पिटाये टुकड़े को उठा कर उसे बिल्कुल ताज़ा बना कर पेश कर दें।

https://youtu.be/WoC69lxnS_Y?list=PL2Z8vT6D3wiQi7Qz6zwpwHYMfeOa6KXmJ (और्नेट कोलमैन - इवेन्चुअली)

"शेप औफ़ जैज़ टू कम" कुल 36-37 मिनट का ऐल्बम था और उसमें 4 मिनट से ले कर 9 मिनट तक की छै रचनाएं थीं -- लोनली वुमन, इवेन्चुअली, पीस, फ़ोकस औन सैनिटी, कन्जीनिऐलिटी और क्रोनौलोजी, लेकिन इन छै रचनाओं के माध्यम से ही और्नेट कोलमैन ने जैज़ की दुनिया में अपनी मुहर लगा दी थी. न सिर्फ़ वे पूरी तरह तात्कालिक प्रेरणा पर बजाते थे, बल्कि उन्होंने अपनी छोटी-सी मण्डली में न तो पियानो को जगह दी थी न गिटार को. मण्डली में चार लोग थे -- सैक्सोफ़ोन पर और्ने कोलमैन, कौर्नेट पर डौन चेरी, बेस पर चार्ली हेडन और ड्रम्स पर बिली हिगिन्स. जैसे इतना ही परम्परागत श्रोताओं और समीक्षकों को चौंकाने के लिए काफ़ी न हो, जो सैक्सोफ़ोन और्नेट कोलमैन बजाते थे वह पीतल का नहीं, प्लास्टिक का बना हुआ था, जिससे उसकी अवाज़ में एक खास क़िस्म की करख़्त फ़ितरत पैदा हो गयी थी.
"शेप औफ़ जैज़ टू कम" की सारी रचनाएं और्नेट कोलमैन ने तैयार की थीं और हालांकि वे इस ऐल्बम का नाम फ़ोकस औन सैनिटी रखना चहते थे, लेकिन फिर उन्होंने सलाह-मशविरे के बाद "शेप औफ़ जैज़ टू कम" ही तय किया. ऐल्बम की पहली रचना "लोनली वुमन" ने ऐल्बम के बाज़ार में आते ही लोगों का ध्यान खींचा और समय के साथ वह जैज़ की अविस्मरणीय रचनाओं में शामिल हो गयी है. 

http://youtu.be/QSmYTc1Jv7w (Ornette Coleman The Lonely Woman in Vienna 2008)

"लोनली वुमन" के बारे में और्नेट ने बताया कि इस धुन का ख़याल उन्हें लौस ऐन्जिलीस में एक डिपार्टमेण्टल स्टोर में काम करते हुए खाने की छुट्टी के दौरान आया था जब उन्होंने एक औरत का फ़ोटो देखा था. "औरत के पीछे तमाम तरह की ऐशो-आराम की चीज़ें थीं," और्नेट कोलमैन ने बताया था,"दौलत  से खरीदी जा सकने वाली हर तरह का सामान, लेकिन वह इतनी उदास थी. मैंने मन में सोचा -- हे भगवान, मैं इस एहसास को समझ सकता हूं. मैंने कभी इस तरह की दौलत नहीं देखी, पर मुझे वह महसूस हो रहा है जो उस औरत के मन में चल रहा है. जब मैं काम के बाद घर गया तो मैंने यह रचना तैयार की. मैंने ख़ुद को ठीक उस जगह रख कर उस भावना को अपने ऊपर हावी होने दिया और यह टुकड़ा रचा."   
वैसे, इस ऐल्बम की सारी-की-सारी रचनाएं अपनी सादगी में अनोखी कही जा सकती हैं. हर टुकड़े में एक छोटी-सी धुन है, काफ़ी कुछ जैज़ के किसी भी आम गीत की तरह, फिर बीच में तात्कालिक प्रेरणा से बजाये गये टुकड़े हैं और अन्त में एक बार फिर मुख्य धुन पर वापसी. मगर यह सादगी और वादकों की ग़ैरतयशुदा उड़ान ही इन टुकड़ों की जान है. और्नेट कोलमैन का कहना था कि जैज़ ही ऐसा संगीत है जहां किसी सुर या टुकड़े को हर बार बजाते हुए नया करके पेश किया जा सकता है और इस लिहाज़ से वह एकदम आज़ाद संगीत है. 
आज़ादी ही वह चीज़ थी जिसे हासिल करने के लिए और्नेट कोलमैन अपने बचपन से कोशिश करते आ रहे थे और  "शेप औफ़ जैज़ टू कम" इस दिशा में उनका पहला और सबसे महत्वपूर्ण कदम था. इस ऐल्बम के माध्यम से उन्होंने जैज़ की दुनिया में ऐसी चुमौती पेश कर दी थी जिसे तस्लीम करना आज भी बहुत से लोगों को गवारा नहीं है. अनेक समीक्षकों ने उन्हें मूर्तिभंजक कहा, सुर-ताल से रहित कहा, जैज़ का घुसपैठिया भी कहा, लेकिन सुनने वालों और बहुत-से रचनाकारों ने उनकी प्रतिभा को पहचान कर उन्हें एक सच्चा फ़नकार माना.  
1959 में "शेप औफ़ जैज़ टू कम" को रिकौर्ड करने के बाद और्नेट कोलमैन ने अगले ऐल्बम को रिकर्ड कराने में देर नहीं की और जो नयी राह "शेप औफ़ जैज़ टू कम" में खोजी थी, उसी पर आगे बढ़ते हुए उन्होंने अगला ऐल्बम रिकौर्ड कराया और उसका नाम रखा "फ़्री जैज़" -- "उन्मुक्त जैज़." "फ़्री जैज़" स्टीरियो में रिकौर्ड हुआ था और इसमें और्नेट ने चारों वाद्यों के दो जोड़े इस्तेमाल किये थे. चालीस मिनट लम्बी यह रिकौर्डिंग अब तक का रिकौर्ड किया गया सबसे लम्बा जैज़ रिकौर्ड था और बाज़ार में आते ही इसे फ़ौरन कोलमैन की विवादग्रस्त रचनाओं में शुमार किया जाने लगा. और्नेट कोलमैन ने इसमें एक नियमित मगर जटिल ताल पर तजरुबे किये थे. एक ड्रम वादक नियमित ताल पकड कर चलता तो दूसरा डबल टाइम में यानी उसकी रफ़्तार निस्बतन तेज़ होती. बीच में उन्मुक्त झाले होते और हालांकि बैण्ड के हर सदस्य को एकल वादन का अवसर मिलता, पर वे अगर चाह्ते तो बीच-बीच में शामिल भी हो सकते थे.

https://youtu.be/d0HB8ybKJzo (और्नेट कोलमैन - फ़्री जैज़ भाग 1)


"फ़्री जैज़" का नाम और्नेट कोलमैन ने सिर्फ़ इस ऐल्बम के लिए तय किया था, लेकिन उनकी इच्छा के विपरीत धीरे-धीरे उनकी बढ़ती हुई प्रतिष्ठा ने इसे एक आन्दोलन का, जैज़ की एक नयी विधा का रूप दे दिया. फिर स्थितियां कुछ इस तरह बदलीं कि ख़ुद कोलमैन इसी राह को आगे बढ़ाते हुए नयी-नयी धाराओं के साथ जुड़ते चले गये और एक गुरु बन कर उभरे. उन्होंने तार वाले वाद्यों के साथ भी प्रयोग किये

https://youtu.be/ml_BetwQ84I (और्नेट कोलमैन - फ़्री जैज़ भाग 2)

इसके अलावा उन्होंने माइल्स डेविस की तरह इलेक्ट्रिक वाद्यों का भी इस्तेमाल किया और अपने पुराने प्लास्टिक के सैक्सोफ़ोन को न त्यागते हुए भी पीतल के सैक्सोफ़ोन भी बजाये. मगर जो कुछ और्नेट कोलमैन ने १९५९ के बाद किया उसमें उन्होंने रूढ़ियों को तोड़ते रहने की अपनी टेक बरकरार रखी.

https://youtu.be/dM5WPCsWA3M?list=PL2Z8vT6D3wiQi7Qz6zwpwHYMfeOa6KXmJ (और्नेट कोलमैन - औफ़ ह्यूमन फ़ीलिंग्ज़)

(जारी)

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