Wednesday, April 15, 2015

जैज़ पर लम्बा आलेख



चट्टानी जीवन का संगीत 
बाईसवीं कड़ी

26.

माइल्स डेविस अगर बहुत हद तक अन्तर्मुखी कलाकार थे, स्वभाव और संगीत दोनों के लिहाज़ से, तो चार्ल्स मिंगस (1922-79)  अव्वल से आख़िर तक हर चीज़ से लोहा लेने वाले फ़नकार थे -- चाहे मामला संगीत का हो या देश-दुनिबया का, साथी कलाकारों का हो या फिर सुननेवालों का.

थेलोनिअस मंक को अगर उनके अन्तर्मुखी स्वभाव के कारण बहुत-से लोग "लोनली मंक" यानी एकाकी साधू कहते थे और इसी शीर्षक से "टाइम" पत्रिका ने उन पर आवरण कथा भी प्रकाशित की थी तो चार्ल्स मिंगस की शोहरत जैज़ के "नाराज़ आदमी" की थी. जैज़ संगीत और अपनी डगर से अलग न हटने की टेक के चलते मंच और संगीत सभाओं या रिकौर्डिंग के दौरान मिंगस का आपे से बाहर हो जाना या संगतकारों को फटकार देना या मण्डली से बाहर कर देना एक आम बात थी. मझोले आकार के बैण्डों के लिए संगीत रचने और अपनी मण्डली के वादकों की ताकत और कौशल को बढ़ाने और उस पर बल देने की अपनी स्वाभाविक प्रवृत्ति के चलते चार्ल्स मिंगस को अक्सर ड्यूक एलिंग्टन का उत्तराधिकारी भी माना जाता था, जिनके लिए वैसे भी मिंगस के मन में बहुत श्रद्धा थी. ख़ुद डिज़ी गिलेस्पी ने एक बार कहा था कि मिंगस उन्हें "युवा ड्यूक" की याद दिलाते थे. लेकिन मिंगस उन गिने-चुने वादकों में थे जिन्हें ड्यूक एलिंग्टन ने अपने बैंड से उनके कलह-क्लेश-भरे स्वभाव के कारण एक बार निकाल भी दिया था.

चार्ल्स मिंगस का जन्म ऐरिज़ोना में हुआ था और वे लौस ऐन्जिलीस में पले-बढ़े थे. हालांकि वे अश्वेत थे, लेकिन मां और पिता, दोनों की तरफ़ से उनकी नसों में अलग-अलग क़ौमों का ख़ून भी दौड़ रहा था. मां की तरफ़ से चीनी और अंग्रेज़ तो पिता की तरफ़ से स्वीडी. बहरहाल, बाहर की सारी दुनिया के लिए चार्ल्स मिंगस नीग्रो थे. उनकी मां ने सख़्ती से घर में सिर्फ़ गिरजे में बजाये जाने वाले संगीत ही की इजाज़त दे रखी थी, लेकिन जल्दी ही चार्ल्स को दूसरी तरह के संगीत में दिलचस्पी पैदा हो गयी, ख़ास तौर पर ड्यूक एलिंग्टन की रचनाओं में. उन्होंने शुरुआत ट्रौम्बोन से की और फिर वे चेलो बजाने लगे जो बड़े आकार की वायलिन जैसा वाद्य था. लेकिन पेशेवर तौर पर वे चेलो बजाना जारी नहीं रख पाये, क्योंकि उस समय किसी अश्वेत संगीतकार के लिए शास्त्रीय संगीत के हलकों में दाख़िल होना असम्भव था और जैज़ में अभी चेलो को वाद्य के रूप में स्वीकार नहीं किया गया था. आख़िरकार मिंगस ने तार वाले दूसरे वाद्य -- बेस -- को चुना को, जिसे हाथ से बजाते थे और जो जैज़ में अपनी शमूलियत दर्ज कर चुका था. इसके बावजूद चेलो से मिंगस की मोहब्बत जीवन भर चली.

पढ़ाई-लिखाई में कमज़ोर होने की वजह से चार्ल्स मिंगस अपनी जवानी के दिनों में संगीत की स्वर-लिपि उतनी तेज़ी से नहीं पढ़ पाते थे जिसकी वजह से उन्हें हमेशा शास्त्रीय संगीत की दुनिया से बहिष्कृत होने का एहसास सालता रहा. ताज़िन्दगी नस्लवाद और रंगभेद से उनकी जद्दो-जेहद के साथ इन शुरुआती अनुभवों ने मिल कर बहुत हद तक उनके संगीत की फ़ितरत को गढ़ने की भूमिका निभायी. उनके संगीत में नस्लवाद, भेद-भाव और न्याय-अन्याय के स्वर साफ़ झलकते हैं.

जब मिंगस ने हाई स्कूल में बेस बजाना शुरू किया तो जो  हिकमतें उन्होंने चेलो के सिलसिले में सीखी थीं, उन्हें वे यहां आ़ज़माने लगे. पांच बरस तक वे न्यू यौर्क फ़िल्हार्मौनिक और्केस्ट्रा के मुख्य बेस वादक हर्मन राइन्सहागेन से सीखते रहे. अपनी किशोरावस्था से शुरू करके ही चार्ल्स मिंगस काफ़ी प्रौढ़ किस्म की संगीत रचनाएं करने लगे थे, क्योंकि उनमें पश्चिमी शास्त्रीय संगीत के तत्व शामिल थे. इनमें से कुछ टुकड़े आगे चल कर 1960 में संगीत निर्देशक गुण्टर शिलर के साथ रिकौर्ड भी किय गये. मज़े की बात है इन्हें "बर्ड से पहले" कह कर श्रोताओं के सामने पेश किया गया, क्योंकि "बर्ड" यानी चार्ली पार्कर के साथ जुड़ने के बाद मिंगस उन बहुत-से वादकों में से थे जिनके संगीत की समझ पार्कर ने बदल कर रख दी थी.

बेस-वादक के रूप में मिंगस अपनी मिसाल आप थे. 1943 से शुरू करके वे लुई आर्मस्ट्रौंग और ड्यूक एलिंग्टन जैसे तपे हुए संगीतकारों की संगत करने लगे थे और 1950 के दशक में वे चार्ली पार्कर की संगत में बेस बजाने लगे. मिंगस की नज़र में पार्कर जैज़ संगीत के इतिहास में सबसे महत्वपूर्ण और रचनात्मक वादक थे. लेकिन कई बार पार्कर की आत्म-विनाशक आदतों और नशे की लत के कारण उन्हें खीझ भी होती थी और उन्हें न सिर्फ़ इस बात से चिढ़ थी कि एक रूमानी नज़रिये के तहत नशों को जैज़ संगीतकारों के लिए मानो ज़रूरी चीज़ बताया जाता था, बल्कि इस बात से भी कि पार्कर के इर्द-गिर्द एक प्रभामण्डल बुन कर उनके नक़लचियों की एक खेप तैयार हो गयी थी. इसी को लक्ष्य करके मिंगस ने एक गीत तैयार किया जिसके बोल थे "अगर पार्कर होता बड़ा बन्दूकची तो मरे पड़े मिलते ढेरों नक़लची."

चर्ल्स मिंगस अक्सर मझोले आकार की मण्डलियों के साथ काम करना पसन्द करते थे जिसमें पारी-पारी से वादक आते-जाते रहते थे. अपने संगतकारों से वे लगातार यही अपेक्षा रखते कि वे बजाते समय अपने रचनात्मक कौशल का प्रदर्शन करते रहें. मिंगस की इन मण्डलियों को कुछ संगीतकारों ने जैज़ के विश्वविद्यालय भी कहा क्योंकि वहां वे इतनी तरह की तकनीकों से प्रयोग करते और अपने संगतकारों को भी सिखाते.

https://youtu.be/HafQ0B36ZIQ?list=PLcc51NYcXkvHWQV8vBLs38rOlsC7CkbE7
(चार्ल्स मिंगस - टाइम्स स्क्वेयर में पुरानी यादें)

मिंगस जैज़ संगीत के लगभग 10 ऐलबम रिकौर्ड कर चुके थे जब उन्होंने "पिथेकैन्थ्रोपस एरेक्टस" रिकौर्ड कराया, जिसे उनका पहला महत्वपूर्ण ऐल्बम माना जाता है -- मण्डली के निर्देशक और रचनाकार, दोनों के तौर पर. इसका शीर्षक गीत सुरों में रची गयी दस मिनट लम्बी कविता कहा जा सकता है जिसमें मनुष्य के बनने से ले कर उसके एक अन्तिम पतन तक के विकास को दर्शाया गया था. एलिंग्टन की तरह मिंगस भी ख़ास-ख़ास संगीतकारों को ध्यान में रख कर अपने गीत और राग तैयार करते थे मसलन "पिथेकैन्थ्रोपस एरेक्टस" में उन्होंने कुछ दुस्साहसी क़िस्म के वादकों को शामिल किया था. "पिथेकैन्थ्रोपस एरेक्टस" के बाद के दस साल मिंगस के जीवन के सबसे उर्वर और रचनात्मक साल थे. प्रभावशाली राग और ऐल्बम आश्चर्यजनक गति से आते रहे, दस बरस में लगभग तीस रिकौर्ड, जिसका मुक़ाबला ड्यूक एलिंग्टन के अलावा और कोई नहीं कर सकता था. 

https://youtu.be/ZB6GkA54n_Q (चार्ल्स मिंगस - पिथेकैन्थोपस एरेक्टस)

अगर "पिथेकैन्थ्रोपस एरेक्टस" मिंगस का पहला महत्वपूर्ण ऐल्बम था, तो उसके तीन साल बाद ही 1959 में रिकौर्ड किया गया ऐल्बम "मिंगस आ हुम" उनका घोषणा-पत्र कहा जा सकता है जिसमें न सिर्फ़ उन्होंने अपनी फ़नकारी, अपने संगीत-सम्बन्धी विचारों और अपने सामाजिक-राजनैतिक बयान को दर्ज किया था, बल्कि यह साबित कर दिया था वे बीसवीं सदी के अप्रतिम जैज़ संगीतकारों में शामिल किये जाने लायक हैं. इस दौर में सनी रॉलिन्स जैसे वादक अगर संगीत की अदाकारी की समस्या से जूझ रहे थे तो दूसरी ओर बैस-वादक चार्ल्स मिंगस अपने पूर्ववर्ती रचनाकारों -- ड्यूक एलिंग्टन और चार्ली पार्कर -- की तरह इस अदाकारी में अन्तर्निहित वैचारिक पक्ष की समस्याओं का सामना कर रहे थे।

https://youtu.be/jfuisVNidXU?list=PLTP2K4U1d1_ypnCaXm9AtTijlk6JfhsVY (चार्ल्स मिंगस - ड्यूक के नाम खुला ख़त)

एक संगीतकार के रूप में अपने अनुभवों को याद करते हुए अपनी पुस्तक ’आख़िरी आदमी के पीछे’ में चार्ल्स मिंगस ने लिखा था, ’सही मायनों में मेरे भीतर तीन आदमी हैं -- एक आदमी डरे हुए जानवर जैसा है, जो हमले की आशंका से पहले ही हमला कर बैठता है। दूसरा आदमी जीवन और लोगों को प्यार करने वाला निहायत शरीफ़ आदमी है, जो लोगों को अपनी ज़िन्दगी के दबे-छिपे कोनों में ले जाता है, जो उनकी तमाम बुरी बातें सहता है, जो उनकी तमाम चालाकियाँ और फ़रेब समझने के बाद भी न तो उन्हें नष्ट करता है, न अपने आप को। और तीसरा आदमी हमेशा बीच में खड़ा रहता है -- बेपरवाह; बेफ़िक्र; किसी लगाव के बिना; देखता हुआ, प्रतीक्षा करता हुआ कि जो कुछ उसने देखा है, उसे बाकी दोनों के सामने व्यक्त कर सके।’

मिंगस ने अपने जीवन में गोरों के हाथों अश्वेत लोगों का जो अमानवीय सलूक देखा था, उसने समय ले बारे में उनकी अवधारणा पर भी असर डाला था. उनके एक साथी के अनुसार "मिंगस के लिए न तो कोई अतीत था, न वर्तमान, न भविष्य. सब कुछ घुल-मिल कर एक बन गया था."

https://youtu.be/vEWYeF122dI (चार्ल्स मिंगस - तीन रंगों में अपना चित्र)

"मिंगस आ हुम" में नौ टुकड़े थे, नौ अलग-अलग धुनें -- बेटर गिट इट इन यौर सोल, गुडबाइ पोर्क पाई हैट, बूगी स्टौप शफ़ल, सेल्फ़ पोर्ट्रैट इन थ्री कलर्स, ओपन लेटर टू ड्यूक, बर्ड कौल्स, फ़ेबल्स औफ़ फ़ौबस, पुसी कैट ड्यूज़ और जेली रोल -- लेकिन इन सभी में एक विलक्षण एकाग्रता थी. मिंगस ने अक्सर कहा था कि अपने संगीत के माध्यम से वे अपने आप को व्यक्त करने की कोशिश करते थे और यह काम उनके लिए इस कारण से इतना मुश्किल था क्योंकि वे एक जगह खड़े होने की बजाय समय के साथ लगातार बदलते चल रहे थे. शायद यही वजह है कि जब उन्हें सही मौक़ा मिला तो उन्होंने अपने आप को समग्रता में सामने रख दिया. "मिंगस आ हुम" में एक तरफ़ बेटर गिट इट इन यौर सोल जैसी रचना है जो गिरजे में बजाये जाने वाले संगीत की याद दिलाती है, तो दूसरी तरफ़ सेल्फ़ पोर्ट्रैट इन थ्री कलर्स जैसी धुन जो मानो सुनने वाले को न सिर्फ़ मिंगस के अन्दर की झांकी दिखाती है, बल्कि ख़ुद अपने अन्दर झांकने के लिए प्रेरित करती है. इन्हीं के साथ फ़ेबल्स औफ़ फ़ौबस जैसी रचना भी है, जिसमें मिंगस ने धुन के साथ गीत भी शामिल किया था. 

http://youtu.be/QT2-iobVcdw (Fables of Faubus)

गीत में अमरीकी प्रान्त आर्कैन्सस के गवर्नर और्वल फ़ौबस की खुली निन्दा थी, क्योंकि और्वल  फ़ौबस ने अमरीका की सुप्रीम कोर्ट के फ़ैसले के खिलाफ़ नौ काले छात्रों को लिटल रौक नामक जगह के एक स्कूल में दाखिल होने से रोक दिया था और नस्ली भेद-भाव के समर्थकों का खुल्लम-खुल्ला साथ दिया था. यह पहला मामला था, जब भेद-भाव जो अब तक छिपे तौर पर चलता था, खुल कर समूचे अमरीका ही नहीं, समूची दुनिया के सामने आ गया था. राष्ट्रपति आइज़नहावर और उनके प्रशासन के लिए संकट पैदा हो गया था, सेना बुलानी पड़ी थी, आक्रोश दोनों तरफ़ से फूट पड़ा था और अन्त में गवर्नर फ़ौबस को अपना आदेश वापस लेना पड़ा था. ज़ाहिर है, यह मिंगस का आन्दोलनकारी कार्यकर्ता वाला पक्ष था. यों, मिंगस बराबर यही कहते रहे कि वे कोई राजनैतिक कार्यकर्ता नहीं हैं, वे तो महज़ वादक और संगीत-निर्देशक हैं, लेकिन यह भी सही है कि मिंगस बहुत स्पष्टवादी कलाकार थे और संगीत के मंच को अपने विचार व्यक्त करने के लिए इस्तेमाल करने से कभी हिचकते नहीं थे चाहे बात सुनने वालों के व्यवहार की हो या संगतकारों के व्यवहार की, नस्ली भेद-भाव की हो या किसी और अन्याय-उत्पीड़न की.

चूंकि चार्ल्स मिंगस ज़िन्दगी भर नस्ली और रंग आधारित भेद-भाव से जूझते रहे, इसका असर उनके संगीत पर लाज़िमी तौर पर पड़ता रहा, उर्वरता के दौर आते और फिर अवसाद के जिनमें वे ज़्यादा न रच पाते. तो भी वे जैज़ संगीत के हल्कों में बेस के सबसे महत्वपूर्ण वादक बने रहे, कहा जा सकता है कि उन्होंने इस वाद्य के सन्दर्भ में ज़मीन तोड़ने का काम किया. सबसे बड़ी बात यह थी कि चार्ल्स मिंगस किसी ख़ाने में रखे जाने से हमेशा बचते रहे. अपनी प्रेरणाएं वे जैज़ के ताज़ातरीन चलन से ले कर मुक्त जैज़, तीसरी धारा और शास्त्रीय संगीत के साथ पुराने धार्मिक संगीत को मिला कर तैयार करते. उनका ज़ोर सामूहिक रचनात्मकता पर रहता जैसा पुराने ज़माने में न्यू और्लीन्ज़ की मण्डलियों में मिलता था जहां महत्व इस बात पर रहता कि कोई भी वादक मण्डली के बाक़ी वादकों के साथ कैसे ताल-मेल बैठा कर एक गुंथा हुआ संगीत पेश करता था. और इस लिहाज़ से चार्ल्स मिंगस नये और पुराने का अद्भुत मेल थे.

(जारी)

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